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सहूलियत के बिना उम्मे हानी ने पाया मुकाम, हाईस्कूल में पाया 96.8% अंक

सहूलियत के बिना उम्मे हानी ने पाया मुकाम, हाईस्कूल में पाया 96.8% अंक



इल्म (एजूकेशन) हासिल करो चाहे चीन तक जाना पड़े। इल्म हासिल करो, मां की गोद से लेकर कब्र की आगोश तक। ये दो वाक्य नहीं बल्कि दो संदेश हैं, मुसलमानों के नबी पैगम्बर मोहम्मद के। इसे इस युग में जब देश और दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है तब सुल्तानपुर की बेटी "उम्मे हानी" ने अपने आप में ढाला है। सोमवार को सीबीएससी की परीक्षा में उसे 96.8% अंक इसने पाया है। वो केंद्रीय विद्यालय की स्टूडेंट रही है। इस बच्ची की सराहना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि बिना कोचिंग-ट्यूशन के उसने ये मुक़ाम हासिल किया है।

पिता की मामूली सी दुकान और मां कपड़े सिलकर चलाती है परिवार






आपको बताते चलें कि आपको जान कर हैरानी तब होगी जब जानकारी दी गई कि फैमली में पिता की मामूली सी दुकान और मां कपड़े सिलकर परिवार चला रहे। ऐसी हालत में सेल्फ स्टडी से इस पायदान पर जब बेटी पहुंचती है तो सिर्फ मां-बाप का सिर फख्र से ऊंचा नहीं होता बल्कि समाज का सिर गौरान्वित होता है। उम्मे हानी आज अपने समाज की हर लकड़ियों के लिए आयडियल है, वो इसलिए कि उसने अपने रिजल्ट से संदेश दिया है बिना सहूलियत के भी अच्छा मुक़ाम हासिल किया जा सकता है। इस बेटी को बहुत-बहुत बधाई।।

रिपोर्ट/सरफराज अहमद

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