बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों ने अब प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला है। चुनाव से ठीक पहले ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का बैनर लगाकर प्रशासन का हाथ-पांव फूल गए हैं। ये मामला पशु प्रेमी सांसद मेनका गांधी के संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर के सदर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत जयसिंहपुर के चांदपुर भोजई का पुरवा गांव का है।
चांदपुर भोजई का पुरवा गांव में करीब चौदह सौ के आसपास की आबादी है। इनमें से लगभग आठ सौ के करीब मतदाता हैं। यहां के मतदाताओं ने आदम खोर बंदरों के आतंक से परेशान होकर मतदान बहिष्कार का बैनर गांव के अंदर व बाहर लगा रखा है। महीनों से ग्रामीण बंदरों के आतंक से हलाकान हैं। ग्रामीण बताते हैं कि बंदर घर के अंदर रखा सारा सामान लेकर भाग जाते हैं। लोग घर में खाना बनाकर रखे रहते हैं तो बंदर खाना भी उठाकर लेकर भाग जाते हैं। कई बच्चों को स्कूल जाते समय बंदरों ने काट भी लिया है। ग्रामीणों की माने तो आदमखोर बंदर रात के अंधेरे में छोटे बच्चो को उठा न ले जाएं इसलिए ग्रामीण छोटे बच्चो को बाहर नहीं छोड़ते हैं। ग्रामीणों के अनुसार उन्होंने एसडीएम, डीएम, विधायक, सांसद से लेकर मुख्यमंत्री तक से शिकायत की लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ मिला मिला नहीं। गांव के लोगो ने चंदा लगाकर बंदर पकड़ने वाले को भी बुलाया था, लेकिन वो पकड़ नहीं सके। ग्रामीण ये भी बताते हैं कि सांसद मेनका गांधी को बीच रास्ते में रुकवाकर बंदरों को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने चुनाव के बाद समस्या के निस्तारण का आश्वासन दिया है। जबकि इन पांच सालो के ग्रामीणों ने सांसद से कई बार शिकायत की है। चुनाव बहिष्कार का ऐलान किए ग्रामीणों को तीन दिन हो गया है।
ग्रामीणों के मुताबिक गांव के सदा शिव पाण्डेय, रेनू वर्मा, रानी शर्मा, साधना वर्मा, सौम्या वर्मा समेत कई बच्चे और बूढ़े को बंदर काट चुके हैं। ग्रामीण बताते हैं कि एक बार बंदर गांव के सोनू वर्मा के 3 माह के दुधमुहे बच्चे को उठाकर छत पर लेकर चला गया था। परिजनों के पहुंचने पर बच्चे को छोड़कर भाग गया था। विजय शर्मा के एक साल के बच्चे को भी लेकर छत पर छोड़कर भाग गया था। गांव निवासी अजीत कुमार वर्मा बताते हैं बंदर आतंक मचाए हैं ग्रामीण परेशान हैं। हमारे ग्राम सभा में बंदरों ने कई बच्चों को काटा है। गाय-भैंस को भी परेशान करते हैं। तहसील दिवस, डीएम, सांसद मेनका गांधी के यहां कंप्लेन किया कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रशासन और प्रधान हमारा कोई नहीं सुन रहा है।
सूर्य लाल पाण्डेय बताते हैं कि लोगों ने ध्यान नहीं दिया वरना कबका बंदर चले गए होते। पिंजरा वगैरह भी हम लोग बनवाकर रखे लेकिन बंदर पकड़ में नहीं आए। कम से कम आठों बार इसमें शिकायत हो चुकी होगी। हमारे गांव के प्रत्येक घर के सदस्य को बंदर ने जरूर काटा है। उन्होंने कहा समस्या है इनको मारा नहीं जा सकता है। इनसे निजात पाने के लिए प्रशासन ही एक मात्र चारा है। उन्होंने ये भी बताया बंदरों ने घर उजाड़ दिया है। बंदर जो काटते हैं वो काटते हैं, रोटी बना रहा हो वो लेकर चले जा रहे हैं। अधिकारी आते हैं आश्वासन देते हैं और कहते हैं स्वयं बचाव करो।
रिपोर्ट/सरफराज अहमद