अंधेरे में टॉर्च की रौशनी में ऑपरेशन, विधायक ताहिर खान ने लिया संज्ञान , तत्काल सीडीओ को लिखी चिट्ठी।
सुल्तानपुर यूपी..
@सरफराज अहमद
सुल्तानपुर के इसौली में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एक चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई—टॉर्च की कमज़ोर रोशनी में एक ऑपरेशन! जी हाँ, बिजली की अनुपस्थिति में डॉक्टरों को टॉर्च थामकर मरीज की जान बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ी। सुई-धागे और चिकित्सा उपकरणों के बीच टिमटिमाती टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन का यह दृश्य किसी फ़िल्मी सीन से कम नहीं था। लेकिन यह कोई फ़िल्म नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की कड़वी सच्चाई थी।
इस घटना की खबर जब इसौली के विधायक ताहिर खान तक पहुँची, तो उन्होंने इसे महज़ एक खबर नहीं, बल्कि एक चुनौती के रूप में लिया। बिना देर किए, ताहिर खान ने मुख्य विकास अधिकारी को पत्र लिखा और स्वास्थ्य केंद्र में साइलेंट जनरेटर लगवाने की माँग की। उनका यह कदम न सिर्फ़ त्वरित था, बल्कि यह भी दिखाता था कि वे अपनी जनता के दर्द को कितनी गहराई से महसूस करते हैं।
कल्पना कीजिए—एक ऑपरेशन थिएटर, जहाँ डॉक्टर टॉर्च की रोशनी में पसीना पोंछते हुए मरीज की सर्जरी कर रहे हैं। न कोई स्थिर बिजली, न जनरेटर की सुविधा। मरीज की साँसें और डॉक्टरों की मेहनत टॉर्च की उस कमज़ोर रोशनी पर टिकी थी। यह नज़ारा न सिर्फ़ मरीजों के लिए जोखिम भरा था, बल्कि चिकित्सकों के लिए भी एक असंभव-सी चुनौती। लेकिन ताहिर खान ने इस अंधेरे को चुनौती दी और इसे रोशनी में बदलने का बीड़ा उठाया।
ताहिर खान का यह सक्रिय रवैया कोई नया नहीं है। इसौली में उनकी मौजूदगी और जनसमस्याओं के प्रति उनकी संवेदनशीलता उन्हें एक अलग पहचान देती है। चाहे विधानसभा में जनता की आवाज़ बुलंद करना हो या गाँव की गलियों में लोगों की बात सुनना, वे हमेशा आगे रहते हैं। इस बार भी, टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन की इस घटना ने उन्हें झकझोरा, और उन्होंने तुरंत कार्रवाई की।
साइलेंट जनरेटर की माँग सिर्फ़ एक उपकरण की स्थापना नहीं, बल्कि मरीजों की ज़िंदगी को सुरक्षित करने का वादा है। यह एक ऐसी उम्मीद है, जो बताती है कि अब शायद इसौली के मरीजों को अंधेरे में इलाज के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। ताहिर खान का यह प्रयास न सिर्फ़ एक विधायक की ज़िम्मेदारी को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि सच्ची नेतृत्व की रोशनी अंधेरे को चीर सकती है।
यह कहानी सिर्फ़ एक ऑपरेशन की नहीं, बल्कि एक ऐसे नेता की है, जो टॉर्च की रोशनी में भी उम्मीद का दीया जला सकता है। इसौली का यह स्वास्थ्य केंद्र अब शायद जल्द ही नई रोशनी में चमकेगा, और मरीजों को वह इलाज मिलेगा, जिसके वे हक़दार हैं। ताहिर खान का यह जज़्बा न सिर्फ़ इसौली, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है—जब इरादे पक्के हों, तो अंधेरा भी रोशनी में बदल जाता है!