सुल्तानपुर यूपी...
रिपोर्ट सरफराज अहमद
सुलतानपुर के इसौली विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक और पूर्व सांसद मोहम्मद ताहिर खान को 25 साल पुराने एक मामले में बड़ी राहत मिली है। एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया। यह मामला वन विभाग की जमीन पर कब्जे और नुकसान पहुंचाने के आरोप से जुड़ा था, जो वर्ष 2000 में दर्ज किया गया था।
जानते है कि क्या था पूरा मामला..?
3 फरवरी, 2000 को वन विभाग के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी मुकेश कुमार ने ताहिर खान के खिलाफ कोतवाली नगर में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि ताहिर खान ने 21 जनवरी, 2000 को वन विभाग की आरक्षित जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की और ट्रैक्टर से सड़क निर्माण कर विभाग को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा, वन कर्मियों रामशिरोमणि, स्वामीनाथ, जेठूराम और हरिशंकर ने दावा किया था कि जब उन्हें रोका गया, तो ताहिर खान ने उनके साथ मारपीट और अपमानजनक व्यवहार किया। इस मामले में आरोपपत्र दाखिल हो चुका था, लेकिन यह लंबे समय तक सीजेएम कोर्ट में लंबित रहा। 24 साल बाद विशेष अदालत ने इसकी सुनवाई शुरू की थी।
जानते हैं कि कोर्ट में अब तक की प्रक्रिया क्या रही..?
विशेष मजिस्ट्रेट शुभम वर्मा की अदालत में इस मामले की लंबी सुनवाई चली। अभियोजन पक्ष ने अपने गवाह पेश किए, जिनमें पूर्व डिप्टी रेंजर अरविंद द्विवेदी भी शामिल थे। ताहिर खान के वकील अरविंद सिंह राजा ने बचाव पक्ष में तर्क दिया कि यह मामला राजनीतिक द्वेष के कारण दर्ज किया गया था और अभियोजन के पास कोई ठोस साक्ष्य नहीं हैं। ताहिर खान ने भी कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। कई सुनवाइयों के दौरान गवाहों के बयान और जिरह हुई, लेकिन अभियोजन पक्ष ठोस सबूत पेश करने में नाकाम रहा। आखिरकार, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में ताहिर खान को सभी आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष ताहिर खान के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित नहीं कर सका।
पूर्व सांसद व इसौली विधायक ताहिर खान की प्रतिक्रिया
बरी होने के बाद इसौली विधायक ताहिर खान ने इसे न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह मामला उनकी छवि को धूमिल करने की साजिश थी, लेकिन सच सामने आ गया। उनके वकील अरविंद सिंह राजा ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह निर्णय न केवल ताहिर खान के लिए, बल्कि न्याय व्यवस्था में लोगों के भरोसे को और मजबूत करता है।
25 साल की लंबी कानूनी लड़ाई का हुआ अंत
यह मामला 25 साल तक कोर्ट में चला, जिसमें कई बार सुनवाई टलती रही। कभी गवाहों की अनुपस्थिति, तो कभी वकीलों की हड़ताल के कारण देरी हुई। ताहिर खान ने इस दौरान कोर्ट में हाजिर होकर जमानत ली और अपने बचाव में मजबूती से पक्ष रखा। आखिरकार, विशेष अदालत के इस फैसले ने उनकी लंबी कानूनी लड़ाई को खत्म कर दिया।
मोहम्मद ताहिर खान सुलतानपुर के इसौली विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। वह पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं। क्षेत्र में उनकी सक्रियता और जनता के बीच लोकप्रियता के कारण वह हमेशा चर्चा में रहते हैं। इस फैसले के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर है।
ताहिर खान का बाइज्जत बरी होना न केवल उनके लिए, बल्कि उनके समर्थकों के लिए भी बड़ी राहत की बात है। यह मामला दर्शाता है कि न्याय व्यवस्था में सच की जीत होती है, भले ही इसमें समय लगे।
सुलतानपुर की विशेष अदालत के इस फैसले ने एक बार फिर यह साबित किया कि बिना ठोस सबूतों के किसी को दोषी ठहराना मुश्किल है। यह निर्णय ताहिर खान के राजनीतिक करियर को और मजबूती दे सकता है।