कांग्रेस नेता बोले-सरकार के दबाव में काम कर रही न्यायपालिका, ऊपरी अदालत का खटखटाएंगे दरवाजा
सुल्तानपुर में MP/MLA कोर्ट ने गृहमंत्री अमित शाह के विरुद्ध दायर मानहानि परिवार को दो दिन पूर्व खारिज कर दिया था। कांग्रेस नेता वरुण मिश्रा ने परिवाद दर्ज कराया था। उन्होंने कहा है कि महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी के मामले को न्यायालय द्वारा बिना हमारा पक्ष सुने हुए ही निर्णय कर दिया जाना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है।
दो दिन पूर्व खारिज हुआ है परिवाद
वरुण मिश्रा ने कहा कि जिस प्रकार मामले के निपटारे में न्यायालय द्वारा जल्दबाज़ी दिखाई गई है वो बड़े दबाव की तरफ इशारा करता है, जबकि उस अदालत के न्यायाधीश का तबादला भी हो चुका था। फिर भी इस जल्दबाज़ी का कारण किसी बड़े दबाव की तरफ इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह के केस में राहुल गांधी को इसी अदालत द्वारा तलब कर लिया गया और अमित शाह के विरुद्ध मुकदमा ख़ारिज किया जाना किसी बड़े दबाव की तरफ इशारा कर रहा है। उन्होंने कहा कि वह चुप नहीं बैठेंगे और ऊपरी अदालत का दरवाजा खट खटाएंगे और अंतिम सांस तक न्याय के लिए लड़ेंगे। वरुण मिश्रा ने कहा कि ऐसा लगता है कि न्यायपालिका भी अब सरकार के दबाव में कार्य करने लगी है।
फरवरी 2018 में दायर हुआ था परिवाद
आपको बता दें कि कांग्रेस नेता वरुण मिश्र ने 22 फरवरी 2018 में परिवाद दायर किया। आरोप लगाया कि छतीसगढ़ के रायपुर की जनसभा में 10 जून 2017 में शाह ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विरुद्ध अभद्र जातिवादी टिप्पणी की थी। जिसे सोशल मीडिया पर देख व सुनकर उनको आघात लगा। शाह के व्यक्तव्य को पूर्व जिपं सदस्य अजय जायसवाल व विनय मालवीय ने भी किए जिसके लिए उन्हें भी आरोपित बनाया गया था। कांग्रेस नेता का बयान होने के बाद मजिस्ट्रेट ने कई बार साक्ष्य देने व बहस करने का अवसर दिया था। लेकिन अधिकतर पेशियों पर परिवादी ने अवसर ही मांगा। मंगलवार को गवाही और तलबी पर बहस हुई तो बुधवार को तिथि तय की गई। लेकिन दिन भर इंतजार करने के बाद दोपहर बाद परिवादी ने अवसर का प्रार्थना पत्र दिया जिसे निरस्त करने के साथ धारा 203 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत साक्ष्य के अभाव में परिवाद ही निरस्त कर दिया गया।
रिपोर्ट/सरफराज अहमद