सुल्तानपुर पहुंचे शिया स्कॉलर मौलाना डॉ कल्बे रुशैद।

सुल्तानपुर पहुंचे शिया स्कॉलर मौलाना डॉ कल्बे रुशैद।


बोले-जुल्म मोबोक्रेसी और इंसाफ लेता है डेमोक्रेसी का रूप, साथ रहने के लिए न्याय के वातावरण की जरुरत।



शिया स्कॉलर मौलाना डॉ कल्बे रुशैद रिज़वी रविवार को सुल्तानपुर पहुंचे। यहां सैदपुर में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में वे शामिपल हुए। उन्होंने जहां मजलिस को सम्बोधित करते हुए लोगों को कई संदेश दिए वही मीडिया से भी उन्होंने बातचीत की। मीडिया से बात करते हुए मौलाना रुशैद ने कहा दो ही चीज है, समाज को या आप इंसाफ से चला सकते हैं या जुल्म से। जुल्म मोबोक्रेसी का रूप लेता है और इंसाफ डेमोक्रेसी का रूप लेता है।


उन्होंने कहा एख्तेलाफ होना ये ग़लत बात नहीं है गलत बात है बेतुके एख्तेलाफात पर कायम रह जाना। वो एख्तेलाफात छोड़ के अगली आने वाली नस्लों को समाज का बागी बना देना, इंसानियत का बागी बना देना ये गलत है। उन्होंने कहा टकराव कहा पैदा हो रहा है, मौलाना ने कहा टकराव पैदा होता है जब इंसाफ में कमी हो। मुझे ऐसा पर्सनली फील होता है कि ये कहना बहुत आसान आप लड़े न, आप झगड़ा न करें, आप समाज को जोड़कर चले। लेकिन उस साथ रहने के लिए हमें जिस वातावरण की जरुरत है वो न्याय है।
 

मौलाना ने कहा अगर न्याय का वातावरण बना रहेगा तो इंसानियत की हुकूमत कायम रहेगी। और इंसानियत की हुकूमत कायम रहेगी तो कभी जुल्म पनपेगा नहीं। और जब जुल्म नहीं पनपेगा तो चारों तरफ मोहब्बत कायम रहेगी। कोई भी देश मोबोक्रेसी से नहीं चलता डेमोक्रेसी से चलता है। मोबोक्रेसी में एक काम को एक हजार लोग अंजाम दे रहे हैं, लेकिन वो एक हजार की तादाद किसी पाप को पुण्य नहीं बना सकते हैं। 


उन्होंने कहा मसलन एक हजार की तादाद ने किसी मकान में आग लगा दी, तो वो हजार की तादाद किसी मकान में आग लगाने को जायज नहीं करार दे सकते। मेरी कोशिश है न्याय का माहौल हो, और न्याय कई चीजों से शुरू होता है। न्याय सिर्फ न्यायपालिका से बाहर नहीं आती, ये सिर्फ अदालतो के फैसले से बाहर नहीं आता। न्याय लबो लहजे में होना चाहिए, न्याय आपके अंदाज और तरीके में होना चाहिए, न्याय दूसरे को बोले गए कटाक्ष और तारीफ में होना चाहिए। 



इस्लाम एक कानून मुसलमान एक चलने वाला, चलने वाला अच्छा न हो तो कानून होता है बदनाम 



जवाब मौलाना ने कहा मुसलमान एक दर्जी को कहते हैं, और इस्लाम एक कपड़े को। अगर कपड़ा पूरा का पूरा दर्जी ने इस्तेमाल किया है तो जिसका लिबास बन रहा है वो अधूरा नहीं होगा। और अगर उसने अपनी मर्जी से कैंची चलाया है तो ये उसका कपड़ा होगा उस कंपनी का कपड़ा नहीं होगा जो आया था इस्तेमाल करने वाले के लिए। ये मैंने इसलिए कहा कि जनाबे जाबिर की रेवायत है, कि लोगों ने इस्लाम को अपने अपने तरीके से इस्तेमाल किया उस दर्जी की तरह जो कपड़े को काटने के लिए कैंची का इस्तेमाल करता है अपनी मर्जी के मुताबिक। काश इस्लाम को इस्लाम के मानो में मुसलमान इस्तेमाल करे तो उसका भी किरदार वैसा होगा जैसे हम अपने पूर्वजों के नामो को लेते हैं तो उन्हें अलैहिस्सलाम कहते हैं। जो सबसे पहला फ़र्क है मुसलमान और इस्लाम में वो यही है कि एक कानून है, एक कानून पे चलने वाला है। चलने वाला अगर अच्छा न हो तो कानून बदनाम होता है। 



मौलाना कल्बे रुशैद ने कहा आज दुनिया में सत्तर प्रतिशत मुस्लिम समुदाय के लोग इंटरनेट का यूज कर रहे हैं ये अच्छी बात है पर उन सत्तर प्रतिशत लोगों को चाहिए की वह इस इंटरनेट का सही यूज करें। उन्होंने कहा की अब मुस्लिम यूथ पढ़ाई की तरफ आकर्षित हुए हैं, आज समय के साथ मुस्लिम समाज के युवाओं को चलना चाहिए लोगो को बेहतर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा की आज वक्त आग से चिराग जलाने का है न की घर जलाने का।
आज मुस्लिम यूथ को चाहिए की वह नेट का यूज समाज के हित के लिए करे उन्होंने कहा की आज समय की मांग है की हम शब्दों का सही तरीके से इस्तेमाल करे किसी बयान पर टीके न रहे उन्होंने कहा की लोगो को भड़का कर समाज का विरोधी नहीं होना चाहिए आज।

रिपोर्ट/सरफराज अहमद