सुल्तानपुर यूपी..
रिपोर्ट: सरफराज अहमद
हाल ही में आयोजित जश्ने हुजूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद का प्रोग्राम सुन्नी उलेमाओं और अकीदतमंदों के लिए एक यादगार और रूहानी मौका साबित हुआ। इस खास आयोजन में सुन्नी उलेमाओं ने हजरत मुफ्ती-ए-आज़म हिंद, मौलाना मुस्तफा रजा खान नूरी के करामात (चमत्कार) और तकवे (परहेजगारी) की ऐसी मिसालें पेश कीं, जो हर सुनने वाले के दिल को छू गईं। यह प्रोग्राम न केवल उनकी शख्सियत को याद करने का एक जरिया था, बल्कि उनके बताए रास्ते पर चलने की प्रेरणा देने वाला भी था।
आयोजन की शुरुआत कुरान-ए-पाक की तिलावत से हुई, जिसने माहौल को और भी पवित्र बना दिया। इसके बाद शायरों और नात ख्वानों ने मुफ्ती-ए-आज़म हिंद की शान में मनकबत और कलाम पेश किए। इन नातों और मनकबतों में उनकी जिंदगी, उनके काम, और उनकी शिक्षाओं को बेहद खूबसूरती से बयान किया गया। हर शब्द में उनके प्रति श्रद्धा और मोहब्बत झलक रही थी। इन कलामों ने वहां मौजूद लोगों के दिलों में एक नई रौशनी जगाई। इस प्रोग्राम की खासियत थी काज़ी-ए-शहर मौलाना अब्दुल लतीफ साहब और मुफ्ती अकील अहमद मिस्बाही की तकरीर जिसमें उन्होंने मुफ्ती-ए-आज़म हिंद के जीवन से जुड़े कुछ खास वाकयों को बयान किया, जो उनकी आध्यात्मिक शक्ति और नेक जिंदगी की मिसाल थे। मुफ्ती अकील अहमद मिस्बाही ने खास तौर पर सुन्नी मुसलमानों से अपील की कि वे मुफ्ती-ए-आज़म हिंद के नक्शे-कदम पर चलें। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी एक ऐसी मिसाल है, जो हमें सच्चाई, नेकी, और इंसानियत का रास्ता दिखाती है। उनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय थीं।
आयोजक और कार्यक्रम में उपस्थित लोग
इस मौके पर आयोजक मकबूल अहमद नूरी के साथ साथ मौलाना शकील मिस्बाही नूरी, मौलाना दिलशाद खान, मौलाना बेलाल, मौलाना रब्बानी, हाफिज तौहीद, मेराज अततारी,नौशाद अहमद जैसे कई उलेमा और विद्वान मौजूद थे। इन सभी ने मुफ्ती-ए-आज़म हिंद की जिंदगी और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उनके विचारों और शिक्षाओं को सुनकर वहां मौजूद हर शख्स गर्व और प्रेरणा से भर उठा। दर्जनों की संख्या में आए अकीदतमंदों ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया। उनकी मौजूदगी ने साबित कर दिया कि मुफ्ती-ए-आज़म हिंद आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।
मुफ्ती-ए-आज़म हिंद, मौलाना मुस्तफा रजा खान नूरी, एक ऐसे आलिम और वली थे, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इस्लाम की खिदमत और सुन्नी मुसलमानों को सही रास्ता दिखाने में गुजारी। उनकी शख्सियत किसी परिचय की मोहताज नहीं। उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में सुन्नी आंदोलन को मजबूत किया। उनके लिखे हुए फतवे और किताबें आज भी लोगों को सही रास्ता दिखाने का काम करती हैं। इस आयोजन में उनके इन योगदानों को बार-बार याद किया गया।
यह जश्न केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि एक ऐसा मंच था, जहां लोगों ने एकजुट होकर उनके पैगाम को दोहराया। उनके नक्शे-कदम पर चलने का संकल्प लिया गया, ताकि उनकी शिक्षाएं और विचार आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सकें। यह प्रोग्राम हर उस शख्स के लिए एक प्रेरणा था, जो अपने जीवन में सच्चाई और नेकी का रास्ता अपनाना चाहता है।
अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि जश्ने हुजूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद का यह आयोजन न सिर्फ उनकी यादों को ताजा करने का मौका था, बल्कि उनके बताए रास्ते पर चलने का एक नया जोश और जज्बा भी लेकर आया। ऐसे आयोजन हमें यह सिखाते हैं कि सच्चाई और नेकी का रास्ता कभी पुराना नहीं होता, और मुफ्ती-ए-आज़म हिंद जैसे महान शख्सियतों की शिक्षाएं हमेशा हमें रोशनी दिखाती रहेंगी।