सुल्तानपुर यूपी
सुल्तानपुर का माहौल इन दिनों गर्म है। समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सेक्टर प्रभारी सुनील यादव की संदिग्ध मौत ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि लखनऊ तक हलचल मचा दी है। इस मामले ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था के सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सियासी साजिश और लाश पर रोटियां सेंकने की राजनीति की कड़वी हकीकत को भी उजागर किया है। सुनील यादव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद यह मामला और भी पेचीदा हो गया है, क्योंकि यह हार्ट अटैक की ओर इशारा करती है, जबकि परिजनों और कुछ नेताओं ने इसे हत्या का रंग देने की कोशिश की। आइए, इस मामले की तह तक जाते हैं और सच्चाई को समझने की कोशिश करते हैं।
आपको बताते चले कि सुल्तानपुर के चांदा कोतवाली क्षेत्र के मदारडीह गांव में 6 जुलाई 2025 को सपा के पूर्व सेक्टर प्रभारी सुनील यादव (30) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इससे पहले, 3 जुलाई को सुनील ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली थी, जिसमें उन्होंने सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडेय के साले विवेक मिश्रा और सुशील निषाद पर जान से मारने की धमकी देने और मारपीट का आरोप लगाया था। इस पोस्ट में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डीजीपी, सुल्तानपुर पुलिस और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को टैग किया था। हालांकि, यह पोस्ट अब उनके फेसबुक अकाउंट से गायब है।
सुनील की पत्नी सरिता यादव ने चांदा थाने में तहरीर देकर संतोष पांडेय, विवेक मिश्रा और सुशील निषाद पर हत्या का आरोप लगाया। उनका दावा था कि सुनील को प्रधानी चुनाव लड़ने से रोकने के लिए पहले धमकाया गया, फिर उनकी निर्मम पिटाई की गई, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ी और अंततः उनकी मौत हो गई। परिजनों ने अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया और कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया।
मामले ने तब नया मोड़ लिया जब सुनील यादव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई। रिपोर्ट में मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया। डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि सुनील के हृदय में रक्त का थक्का (क्लॉटिंग) मिला और फेफड़ों में कंजेशन पाया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि शरीर पर गंभीर चोटों के कोई स्पष्ट निशान नहीं मिले। पंचनामे में पुलिस ने भी दर्ज किया कि सुनील के शरीर पर सिर्फ एक सीने पर हल्का चोट का निशान और तीन खरोचें थीं। यह दावा परिजनों के उस आरोप से बिल्कुल उलट है, जिसमें कहा गया था कि सुनील की निर्मम पिटाई हुई और उन्हें खून की उल्टियां हो रही थीं।
पुलिस ने बिसरा सुरक्षित रखकर मौत की सटीक वजह की गहन जांच का रास्ता खुला रखा है, लेकिन पोस्टमार्टम की प्रारंभिक रिपोर्ट ने हत्या के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर हत्या का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, तो सवाल उठता है कि पुलिस ने संतोष पांडेय और अन्य के खिलाफ हत्या का मुकदमा क्यों दर्ज किया?
सुनील यादव की मौत के बाद सुल्तानपुर में सियासी हलचल तेज हो गई। परिजनों और स्थानीय लोगों ने पुलिस पर दबाव बनाया, जिसके चलते संतोष पांडेय और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ FIR दर्ज की गई। लेकिन अंदरखाने की खबरें बताती हैं कि इस मामले में सपा के ही कुछ नेताओं ने अपनी सियासी रोटियां सेंकने की कोशिश की। आरोप है कि कुछ नेताओं ने भीड़ जुटाकर और माहौल गर्म करके अपनी ही पार्टी के पूर्व विधायक संतोष पांडेय को निशाना बनाया।
संतोष पांडेय, जो सपा के कद्दावर नेताओं में से एक रहे हैं, इस तरह के गंभीर आरोप लगने से पार्टी के अंदरूनी कलह की भी बात सामने आ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह मामला प्रधानी चुनाव की रंजिश से जुड़ा हो सकता है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने हत्या के दावों को कमजोर कर दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह सियासी साजिश का हिस्सा है, जहां संतोष पांडेय को बदनाम करने के लिए सुनील की मौत को हत्या का रंग दिया गया?
सुनील यादव की मौत का मामला अब सुल्तानपुर की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक चर्चा का विषय बना हुआ है। एक तरफ परिजनों का दावा है कि सुनील की हत्या की गई, वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट हार्ट अटैक की बात कह रही है। पुलिस की जांच अभी जारी है, और बिसरे की फॉरेंसिक रिपोर्ट से ही सटीक कारणों का पता चल सकेगा। लेकिन इस बीच, सियासी दलों और नेताओं की बयानबाजी ने मामले को और जटिल बना दिया है। सपा के कुछ नेताओं ने इस मामले को कानून-व्यवस्था के खिलाफ चुनौती बताकर योगी सरकार पर निशाना साधा, तो कुछ ने इसे पार्टी के अंदर की सियासत से जोड़ा। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर तीखी बहस छिड़ी हुई है, जहां कुछ लोग इसे हत्या मान रहे हैं, तो कुछ इसे सियासी ड्रामा करार दे रहे हैं।