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रामकली बालिका इंटर कॉलेज एवं लाला प्रागदीन ट्रस्ट विवाद: न्याय और सच्चाई की जीत

रामकली बालिका इंटर कॉलेज एवं लाला प्रागदीन ट्रस्ट विवाद: न्याय और सच्चाई की जीत

 सुल्तानपुर यूपी...
रिपोर्ट सरफराज अहमद 

रामकली बालिका इंटर कॉलेज, सुल्तानपुर में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में विद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय लाला प्रागदीन जायसवाल की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। इस कार्यक्रम की शुरुआत प्रधान ट्रस्टी राजकुमार जायसवाल, सह ट्रस्टी राखी जायसवाल, प्रधानाचार्य रीना सिंह, रामकली कन्या विद्यालय/समिति के सदस्यों और ट्रस्ट मंडल के सदस्यों द्वारा की गई।




कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हाल ही में हुए एक फर्जी चुनाव और उससे जुड़ी गलतफहमियों को स्पष्ट करना था। दरअसल, रेनू जायसवाल, राजेश कुमार प्रसाद कोलकाता एवं समिति के पूर्व अध्यक्ष/प्रबंधक स्वर्गीय नारायण प्रसाद जायसवाल की मिली भगत से कोरोना काल में स्वयं को रामकली कन्या विद्यालय का प्रबंधक एवं अध्यक्ष चुन लिया गया। स्वयं को तथाकथित समिति का प्रबंधक बताते हुए सुश्री रेनू जायसवाल द्वारा समिति के सदस्यों को नोटिस भेजा और प्रबंधकारिणी समिति के चुनाव में भाग लेने के लिए कहा। इस फर्जी चुनाव की सूचना पाकर कुछ सदस्य भ्रमित होकर उसमें शामिल भी हो गए।




लेकिन अब जब सच्चाई सामने आई, तो वही सदस्य आज की बैठक में शामिल हुए और उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की। सभी ने यह वादा किया कि वे भविष्य में बिना जांचे-परखे किसी गलत सूचना पर कोई कदम नहीं उठाएंगे।




न्यायालय का आदेश: सच्चाई के पक्ष में

इस पूरे मामले में रेनू जायसवाल , श्रीमती मनोरमा जायसवाल(पत्नी स्वर्गीय नारायण प्रसाद जायसवाल), रजनी प्रसाद (कोलकाता), ज्योति गुप्ता (मुंबई), संगीता गुप्ता (वडोदरा) ने ट्रस्ट पर दावा करते हुए, ट्रस्ट की संपत्तियों एवं ट्रस्ट की दुकानों के किरायों पर अपना आधिपत्य दिखाते हुए कई बार ट्रस्ट की दुकानों के दुकानदारों को नोटिस भेजा एवं कई कानूनी लड़ाइयाँ लड़ीं ,– सिविल कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, और यहां तक कि हाईकोर्ट तक गईं। लेकिन हर बार न्यायालय ने प्रधान ट्रस्टी राजकुमार जायसवाल के पक्ष में फैसला सुनाया।

कोर्ट ने साफ कहा कि बिना वैध प्रक्रिया और विभागीय पर्यवेक्षक की उपस्थिति के 6 अप्रैल 2025 को हुआ तथाकथित चुनाव अमान्य है। चुनाव से पहले जो एजेंडा जारी किया गया था, उसमें जिस बैठक का ज़िक्र था, वह भी विद्यालय परिसर में नहीं हुई।



जिला विद्यालय निरीक्षक ने भी अपने आदेश में कहा कि चुनाव की प्रक्रिया पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण थी और रेनू जायसवाल को प्रबंधक के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही यह आदेश दिया गया कि नए सिरे से नियमों के अनुसार चुनाव कराया जाए, जिसमें विभागीय पर्यवेक्षक की मौजूदगी जरूरी होगी।

 पूरे घटना क्रम के बाद निष्कर्ष

इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि सच्चाई चाहे जितनी देर से सामने आए, जीत उसी की होती है। रेनू जायसवाल के फर्जी दावों को अदालत और विभागीय अधिकारियों ने नकारते हुए ट्रस्ट की वास्तविकता को स्वीकार किया है।




विद्यालय के ट्रस्ट और प्रबंधन को अब नए जोश के साथ आगे बढ़ने और सही तरीके से चुनाव कराने का अवसर मिला है। यह घटना सभी के लिए एक सीख है कि अफवाहों और फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर कोई भी निर्णय लेना कितना खतरनाक हो सकता है।


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