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अवंतिका रेस्टोरेंट ने पेश की ईमानदारी की मिसाल।

अवंतिका रेस्टोरेंट ने पेश की ईमानदारी की मिसाल,ग्राहक की जेब से गिरे 24,500 रुपए को रेस्टोरेंट संचालक आशीष आर्या ने लौटा कर समाज को दिया ईमानदारी का संदेश


सुल्तानपुर यूपी 
रिपोर्ट सरफराज अहमद 


आज ईमानदारी और इंसानियत सुनने तक को नहीं मिलतीं,लेकिन वहीं सुल्तानपुर के अवंतिका रेस्टोरेंट ने ऐसा उदाहरण पेश किया है, जो समाज में भरोसा, संस्कार और इंसानियत की नई रोशनी फैलाता है। गोवा में रहकर ड्राइवरी का काम करने वाले एक ग्राहक जिसकी बहू का इलाज शहर के एक अस्पताल में चल रहा था। वह अवंतिका रेस्टोरेंट पहुंचा और उसने कुछ ऑर्डर किया लेकिन इसी बीच अचानक फोन आते ही उसने अपना ऑर्डर कैंसिल कराया और जल्दबाजी और हड़बड़ाहट में बाहर निकलते समय 24,500 रुपए वह जेब से गिरा बैठा। 




रूपए नोट रेस्टोरेंट के गेट और उसके बाहर तक गिरता हुआ चला गया जिसकी जानकारी तक उसको न हो पाई, बिना ध्यान दिए वह अस्पताल की ओर निकल गया। दवा खरीदने के समय जब पैसे गायब होने का एहसास हुआ, तो उसके होश उड़ गए। घबराया हुआ ग्राहक उसी रास्ते से ढूंढता हुआ लगभग एक घंटे बाद फिर अवंतिका रेस्टोरेंट पहुंचा। 



रेस्टोरेंट के स्टाफ ने पहले ही इस पूरी घटना की जानकारी संचालक आशीष आर्या को दे दी थी। जैसे ही ग्राहक पहुंचा, आशीष जी ने उसे पहले पानी पिलाकर शांत किया। इसके बाद पहचान की पुष्टि करने के लिए आधार कार्ड और सीसीटीवी फुटेज की जांच की। सबकुछ स्पष्ट होने पर रुपए 24,500 की पूरी रकम सम्मानपूर्वक ग्राहक को लौटा दी। 





पैसे मिलते ही उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े और राहत की सांस लेते हुए बोला कि आज के समय में इतनी ईमानदारी बहुत कम देखने को मिलती है। आशीष जी और उनके पूरे स्टाफ ने जो किया, उसके लिए मैं दिल से उनको और रेस्टोरेंट को दुआएं और आशीर्वाद देता हूं।







इस घटना पर रेस्टोरेंट संचालक आशीष आर्या ने कहा कि हमारे लिए पैसे से ज्यादा जरूरी है सही इंसान तक उसका हक़ पहुंचाना। यह केवल ईमानदारी नहीं, बल्कि हमारी जिम्मेदारी है।





आशीष आर्या की माता जी जो पिछले लगभग छह महीने से घर पर ही वेदांता हॉस्पिटल के डॉक्टरों की देखरेख में ICU में हैं उन्होंने जानकारी होते ही अपने रेस्टोरेंट के कर्मचारियों को बुलाकर आशीर्वाद देते हुए कहा कि बाबू जी के दिए हुए संस्कारों को आपने आज भी जीवित रखा है। इसके लिए मैं आप सबको धन्यवाद और आशीर्वाद देती हूं। साथ ही साथ उन्होंने ईमानदारी की मिसाल पेश करने वाले कर्मचारियों और मैनेजर को ग्यारह ग्यारह सौ रुपए और अंगवस्त्र पहनाकर उनकी ईमानदारी की सराहना की और उन्हें समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बताया। 





अवंतिका रेस्टोरेंट की यह घटना केवल एक ग्राहक को पैसा लौटाने की नहीं है, बल्कि यह ईमानदारी, इंसानियत और संस्कारों की ताकत की गवाही है। अगर हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे, तो समाज में भरोसा, भाईचारा और आपसी सम्मान और मजबूत होगा। आशीष आर्या और उनके स्टॉप ने यह साबित कर दिया कि सही काम करने के लिए बड़े-बड़े शब्दों की नहीं, बल्कि सही सोच और साफ नीयत की जरूरत होती है। आज पूरा जनपद अवंतिका रेस्टोरेंट पर गर्व महसूस कर रहा है।

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