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30 साल पुरानी बस्ती पर मंडराया बेघर होने का खतरा, डीएम ऑफिस में लगाई न्याय की गुहार

30 साल पुरानी बस्ती पर मंडराया बेघर होने का खतरा, डीएम ऑफिस में लगाई न्याय की गुहार

सुल्तानपुर, यूपी 

सुल्तानपुर जिले के नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड नंबर 15, घसीगंज (ट्रांसपोर्ट नगर) में बसी लगभग 30 साल पुरानी झुग्गी बस्ती के निवासियों पर अचानक बेघर होने का संकट मंडरा रहा है। प्रशासन द्वारा इस बस्ती के लगभग 30 परिवारों को तीन दिन के भीतर घर खाली करने का नोटिस जारी किया गया है, जिसके बाद दर्जनों की संख्या में महिलाएं, पुरुष और बच्चे कलेक्ट्रेट पहुंचे और जिलाधिकारी (डीएम) को ज्ञापन सौंपकर न्याय की गुहार लगाई। पीड़ितों ने वैकल्पिक व्यवस्था की मांग उठाई है, ताकि उनकी आजीविका और बच्चों की शिक्षा पर असर न पड़े।

30 साल पुरानी बस्ती, अब खतरे में

घसीगंज के ट्रांसपोर्ट नगर में बसी यह बस्ती पिछले तीन दशकों से सैकड़ों लोगों का आशियाना रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे तीसरी पीढ़ी से यहां रह रहे हैं। इन परिवारों ने मेहनत-मजदूरी कर अपने छोटे-छोटे घर बनाए, जिनमें बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए नियमित बिल भी भरे जा रहे हैं। इसके बावजूद, प्रशासन ने अचानक नोटिस जारी कर बस्ती को खाली करने का आदेश दे दिया। निवासियों का कहना है कि उन्हें इस कार्रवाई की कोई ठोस वजह नहीं बताई गई, न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था का आश्वासन दिया गया।



डीएम ऑफिस में उमड़ी भारी भीड़

नोटिस मिलने के बाद बस्ती के लोग एकजुट होकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की भीड़ ने डीएम कार्यालय में अपनी पीड़ा बयां की। ज्ञापन सौंपते हुए उन्होंने बताया कि बस्ती में ज्यादातर परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं और दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं। एक महिला ने रोते हुए कहा, "हमारा परिवार 30 साल से यहीं रह रहा है। अब अचानक हमें बेघर करने की बात हो रही है। हम कहां जाएंगे? हमारे बच्चों की पढ़ाई और रोजी-रोटी का क्या होगा?"

वैकल्पिक व्यवस्था की उठी मांग।

पीड़ितों ने ज्ञापन में प्रशासन से मांग की है कि यदि बस्ती को खाली करना जरूरी है, तो पहले उनके लिए वैकल्पिक आवास और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस योजना के उन्हें बेघर करना अन्याय है। कई निवासियों ने यह भी सवाल उठाया कि जब वे इतने सालों से यहां रह रहे हैं और सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं, तो अचानक उनकी बस्ती को अवैध कैसे घोषित किया जा सकता है?

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